नमन करूं उस शहीदों को जो है धरती के लाल । झुककर उस

"नमन करूं उस शहीदों को जो है धरती के लाल । झुककर उसे सलाम करूं जिसकी गाथा है मिशाल।। प्रभु जी मुझको दे अशीष सरदार भगत मैं बन जाऊं। जग के सारे पापियों को चुन चुन कर मैं काट गिराऊं।। शहादत पर थे भगत सिंह सुखदेव और राजगुरु। भारत पर मर मिटने वाले बारंबार मैं नमन करूं।। शेर जैसे दहाड़ते नरसिम्हा का अवतार धरूं। दे तलवारों की शिक्षा दुष्टों का संघार करूं।। लडूं सीमा पर जाके मैं देश की रक्षा करूं। मर भी जाऊं लड़ते लड़ते देश की मैं शान बनूं।। रचनाकार योगिता साहू कुरूद धमतरी छत्तीसगढ़ ©Yogita Sahu"

 नमन करूं उस शहीदों को
जो है धरती के लाल ।
झुककर उसे सलाम करूं
जिसकी गाथा है मिशाल।।

 प्रभु जी मुझको दे अशीष 
 सरदार भगत  मैं बन जाऊं।
जग के सारे पापियों को
चुन चुन कर मैं काट गिराऊं।।

शहादत पर थे  भगत सिंह
सुखदेव और राजगुरु।
भारत पर मर मिटने वाले
बारंबार मैं नमन करूं।।

शेर जैसे दहाड़ते
नरसिम्हा का अवतार धरूं।
दे तलवारों की शिक्षा 
दुष्टों का संघार करूं।।
 
लडूं सीमा पर जाके मैं
देश की रक्षा करूं।
मर भी जाऊं लड़ते लड़ते 
देश की मैं शान बनूं।।

रचनाकार योगिता साहू
कुरूद धमतरी छत्तीसगढ़

©Yogita Sahu

नमन करूं उस शहीदों को जो है धरती के लाल । झुककर उसे सलाम करूं जिसकी गाथा है मिशाल।। प्रभु जी मुझको दे अशीष सरदार भगत मैं बन जाऊं। जग के सारे पापियों को चुन चुन कर मैं काट गिराऊं।। शहादत पर थे भगत सिंह सुखदेव और राजगुरु। भारत पर मर मिटने वाले बारंबार मैं नमन करूं।। शेर जैसे दहाड़ते नरसिम्हा का अवतार धरूं। दे तलवारों की शिक्षा दुष्टों का संघार करूं।। लडूं सीमा पर जाके मैं देश की रक्षा करूं। मर भी जाऊं लड़ते लड़ते देश की मैं शान बनूं।। रचनाकार योगिता साहू कुरूद धमतरी छत्तीसगढ़ ©Yogita Sahu

नमन करूं उस शहीदों को
जो है धरती के लाल ।
झुककर उसे सलाम करूं
जिसकी गाथा है मिशाल।।

प्रभु जी मुझको दे अशीष
सरदार भगत मैं बन जाऊं।
जग के सारे पापियों को

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