Bhagat Singh
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#जानकारी #writing❣️❣️ #bhagatsingh  कर बैठे जो अपना सब कुछ बलिदान
कुछ ऐसे थे भगत सिंह महान

©writer.computer_wala
#bhagat_singh #bhagatsingh #motavitonal #motivate #Quotes  "They may kill me, but they cannot kill my ideas. They can crush my body, but they will not be able to crush my spirit."
                                           -Bhagat Singh

This quote reflects Bhagat Singh's determination and belief in the enduring power of his ideas even in the face of adversity and sacrifice for the cause of India's independence.

©Rukmani_Sharma

"The Indomitable Spirit of Bhagat Singh" #bhagatsingh #motavitonal #bhagat_singh #motivate

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*लिख रहा हू मै अन्जाम जिसका कल वो आगाज आयेगा,,* *मेरे लहु का हर एक कतरा इन्क़लाब लाएगा ।।* *मै रहु या ना रहूँ पर यह वादा है मेरा तुमसे कि,,* *मेरे बाद वतन पे मर मिटने वालो का सैलाब आयेगा। ।* *-शहीद ए आज़म #सरदार भगत सिंह जी* *28 सितम्बर 1907 -- 23 मार्च 1931* *#JaiHind# 🙏🙏* *|('}_* *|(_/\\__G@ur@v_____✍🥀* *🌚!! शुभ रात्रि !!🌚* *🚩!! जय सियाराम !!🚩* ©गौरव दीक्षित(लव)

#प्रेरक #सरदार #bhagatsingh #jaihind  *लिख रहा हू मै अन्जाम जिसका कल वो आगाज आयेगा,,*
*मेरे लहु का हर एक कतरा इन्क़लाब लाएगा ।।*
*मै रहु या ना रहूँ पर यह वादा है मेरा तुमसे कि,,*
*मेरे बाद वतन पे मर मिटने वालो का सैलाब आयेगा। ।*

   *-शहीद ए आज़म #सरदार भगत सिंह जी*

*28 सितम्बर 1907 -- 23 मार्च 1931*

*#JaiHind# 🙏🙏*

*|('}_*
*|(_/\\__G@ur@v_____✍🥀*

*🌚!! शुभ रात्रि !!🌚*
*🚩!! जय सियाराम  !!🚩*

©गौरव दीक्षित(लव)

#bhagatsingh

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#पौराणिककथा #bhagatsinghjayanti #bhagatsingh #revolution #R  लहू का रंग ही उसका हिन्दुस्तानी था ,
खुद में इन्कलाब की इक चिंगारी था !
फांसी तो सिर्फ इक बहाना था उसका
असल में उसे क्रान्ति की आग लगाना था

©R.S.Meghwal
#कविता #happybirthday #nojotohindi #bhagatsingh #Poet #poem  ना कोई था आप-सा,
ना बाद में ही कोई आया,
है नमन आपको वीर भगत सिंह,
आपने देश आजाद़ कराया,
काश! फिर से भगत सिंह यहाँ आये,
देश को जो भी लूट रहे हैं,
उनको एक सबक सिखाये...!!

©Varun Raj Dhalotra
 संघर्षों के अग्निकुण्ड में, जो नित-प्रति खेला था,
अमर सपूत अमर बलिदानी, अद्भुत अलबेला था।

तिलक लगाकर मात्रभूमि की,  मिट्टी के चन्दन का,
स्वाहा कर दी महायज्ञ में, जिसने अमल जवानी !
ऐसे महापुण्य पौरुष को, सत्-सत् नमन हमारा,
देवों के भी राजमहल में, गूँजे जिसकी बानी !

उसी अनूठे दिव्य रूप की, ज्योति है फिरने वाली,
घोर अँधेरों वाली फिर से, निशा है घिरने वाली!
ऐ भगत सिंह, ऐ दिव्य पुरुष, तुमको देश पुकारे,
घोर तिमिर को हरने आओ, भारत के उजियारे!!

©RJ राहुल द्विवेदी 'स्मित'

#bhagatsingh #भगतसिंह #कविता

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