तेरा हुस्न अनोखा दुनिया से सब अलंकार मर्यादा है को | हिंदी Poetry

"तेरा हुस्न अनोखा दुनिया से सब अलंकार मर्यादा है कोई रस ना न्याय कर सकता है वो फीका है सब सादा है लिख रखा कितनों ने तुम पर फिर भी सब कुछ बाकी है देखूं चाँद को देखता जाऊँ पूरा है फिर चाहे आधा है ॥ हृदयवाणी।श्रीकांत पचहरा"

 तेरा हुस्न अनोखा दुनिया से सब अलंकार मर्यादा है
कोई रस ना न्याय कर सकता है वो फीका है सब सादा है
लिख रखा कितनों ने तुम पर फिर भी सब कुछ बाकी है
देखूं चाँद को देखता जाऊँ पूरा है फिर चाहे आधा है ॥
                                                         हृदयवाणी।श्रीकांत पचहरा

तेरा हुस्न अनोखा दुनिया से सब अलंकार मर्यादा है कोई रस ना न्याय कर सकता है वो फीका है सब सादा है लिख रखा कितनों ने तुम पर फिर भी सब कुछ बाकी है देखूं चाँद को देखता जाऊँ पूरा है फिर चाहे आधा है ॥ हृदयवाणी।श्रीकांत पचहरा

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