ऐसा क्यों
क्यों हमारे आंखो के सामने पाप करने पर भी उसे सिर्फ सुख ही मिलता है ?जबकि वो सिर्फ दुःख का अधिकारी है, क्यों किसी को अच्छे कर्मो के बदले उसे तकलीफ, दर्द के अलावा कुछ हांथ नहीं आता? मुझे भी ये सारे प्रश्न बहुत परेशान करते थे। एक दिन मैंने पापा से पूछा तो उन्होंने बोला की किसी भी इंसान या जानवर की अगले जन्म में मिलने वाला सुख, दुःख उसके पिछले जन्म के कर्मों पर भी निर्भर करता है। मान लो किसी ने अपने पूरी जिंदगी सिर्फ गलत काम ही किया और गलत काम करते करते ही वह मर गया अब उसकी आयु तो जितनी थी खत्म हो गई पर उसके कर्मों का फल खत्म नहीं हुआ तो फिर जब उसे अगला जन्म मिलेगा तो चाहे वह कितना अच्छा काम करे पहले उसे पिछले जन्म का शेष रह गया जो फल था वो मिलेगा फिर इस जन्म का। वैसे ही अगर किसी ने पिछले जन्म में बहुत अच्छा काम किया हो तो आयु खत्म हो जाने के बाद अगले जन्म में कितना भी बुरा करे पहले उसे पिछले जन्म का फल मिलेगा उसके खत्म होने के बाद ही इस जन्म के कर्मों के फल मिलेंगे।
बस यहीं कारण हैं कि कोई बुरा करने पर भी सुख़ भोगता है तो कोई अच्छा करने पर भी दर्द ही पाता हैं।
इसलिए इंसान अपने अच्छे या बुरे कर्मो से केवल वही जन्म नहीं बल्कि अपना अगला जन्म भी लिखता है।
ऐसा क्यों