Hindi poem the heart of nation

Hindi poem the heart of nation Lives in Mumbai, Maharashtra, India

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#my Topic My words # Social Issues

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ये भारत किसी की जागीर नहीं हैं ये तो इसपर बलिदान होने वालों की धरोहर है ।

#independenceday2020  ये भारत किसी की जागीर नहीं हैं
ये तो इसपर बलिदान होने वालों की धरोहर है ।

happy independence day #independenceday2020

13 Love

बदलाव नहीं कोइ बादल,जो बरसे बनकर अांधी बदलाव तभी आयेगी,जब जागेगी आबादी हर बार नहीं आएगा ,यहां बनकर कोइ महत्मा ढूंढना हाेगा हमको ,खुद अपने दिल में गांधी।

#independenceday2020  बदलाव नहीं कोइ बादल,जो बरसे बनकर अांधी
बदलाव तभी आयेगी,जब जागेगी आबादी
हर बार नहीं आएगा ,यहां बनकर कोइ महत्मा
ढूंढना हाेगा हमको ,खुद अपने दिल में गांधी।

happy independence day #independenceday2020

8 Love

मौत। मैं दौड़ता तुझसा नहीं, पर रुकता नहीं हूं हार कर जिंदगी को जी रहा हूं, मौत को पहचान कर ये आंधियां जो आई हैं, मुझको उड़ा ले जाने को कह दो उन्हें रुकसत करें, बस इक नजर दीदार कर। तेरे ठहर पर आयी हूं, इक बार तो नजरें मिला शिकवा यदि हो तो,जिंदगी से मुझसे किसी का क्या गिला प्यास देती जिंदगी,पर मैं तो ठंडी सी नदी इक बार जो मुझमे बसे, फिर प्यास लगती ही नहीं। रुकती अगर हो तो रुको, जाने की फुरसत है नहीं जल्दी अगर ना हो तुम्हें,तो क्यों न रुकती कुछ दिन यहीं कुछ काम अब भी शेष हैं, कर लू उन्हें, फिर आऊंगा, औरों की भांति मैं भी, गहरी नींद में सो जाऊंगा।

#कविता  मौत।
मैं दौड़ता तुझसा नहीं,
पर रुकता नहीं हूं हार कर
जिंदगी को जी रहा हूं,
मौत को पहचान कर
ये आंधियां जो आई  हैं,
मुझको उड़ा ले जाने को
कह दो उन्हें रुकसत करें,
बस इक नजर दीदार कर।

तेरे ठहर पर आयी हूं,
इक बार तो नजरें मिला
शिकवा यदि हो तो,जिंदगी से
मुझसे किसी का क्या गिला
प्यास देती जिंदगी,पर
मैं तो ठंडी सी नदी
इक बार जो मुझमे बसे,
फिर प्यास लगती ही नहीं।

रुकती अगर हो तो रुको,
जाने की फुरसत है नहीं
जल्दी अगर ना हो तुम्हें,तो
क्यों न रुकती कुछ दिन यहीं
कुछ काम अब भी शेष हैं,
कर लू उन्हें, फिर आऊंगा,
औरों की भांति मैं भी,
गहरी नींद में सो जाऊंगा।

मौत।

8 Love

सच है विपत्ति जब आती है सच है विपत्ति जब आती है कायर को ही दहलाती है सूरमा नहीं विचलित होते क्षण एक नहीं धीरज खोते विघ्नों को गले लगाते हैं काटों में राह बनाते हैं है कौन विघ्न ऐसा जग में? टिक सके आदमी के मन में खम ठोंक ठेलता है जब नर पर्वत के जाते पांव उखड़ मानव जब जोर लगाता है पत्थर पानी बन जाता है गुड़ बड़े एक से एक प्रखर हैं छिपे मानवों के भीतर मेहंदी में जैसे लाली हो वर्तिका बीच उजियाली हो बत्ती जो नहीं जलाता है ऋषणी नहीं वह पाता है। (रामधारी सिंह दिनकर)

#कविता  सच है विपत्ति जब आती है

सच है विपत्ति जब आती है
कायर को ही दहलाती है
सूरमा नहीं विचलित होते
क्षण एक नहीं धीरज खोते
विघ्नों को गले लगाते हैं
काटों में राह बनाते हैं
है कौन विघ्न ऐसा जग में?
टिक सके आदमी के मन में
खम ठोंक ठेलता है जब नर
पर्वत के जाते पांव उखड़
मानव जब जोर लगाता है
पत्थर पानी बन जाता है
गुड़ बड़े एक से एक प्रखर
हैं छिपे मानवों के भीतर
मेहंदी में जैसे लाली हो
वर्तिका बीच उजियाली हो
बत्ती जो नहीं जलाता है
ऋषणी नहीं वह पाता है।

                     (रामधारी सिंह दिनकर)

सच है विपत्ति जब आती है

13 Love

ऐसा क्यों क्यों हमारे आंखो के सामने पाप करने पर भी उसे सिर्फ सुख ही मिलता है ?जबकि वो सिर्फ दुःख का अधिकारी है, क्यों किसी को अच्छे कर्मो के बदले उसे तकलीफ, दर्द के अलावा कुछ हांथ नहीं आता? मुझे भी ये सारे प्रश्न बहुत परेशान करते थे। एक दिन मैंने पापा से पूछा तो उन्होंने बोला की किसी भी इंसान या जानवर की अगले जन्म में मिलने वाला सुख, दुःख उसके पिछले जन्म के कर्मों पर भी निर्भर करता है। मान लो किसी ने अपने पूरी जिंदगी सिर्फ गलत काम ही किया और गलत काम करते करते ही वह मर गया अब उसकी आयु तो जितनी थी खत्म हो गई पर उसके कर्मों का फल खत्म नहीं हुआ तो फिर जब उसे अगला जन्म मिलेगा तो चाहे वह कितना अच्छा काम करे पहले उसे पिछले जन्म का शेष रह गया जो फल था वो मिलेगा फिर इस जन्म का। वैसे ही अगर किसी ने पिछले जन्म में बहुत अच्छा काम किया हो तो आयु खत्म हो जाने के बाद अगले जन्म में कितना भी बुरा करे पहले उसे पिछले जन्म का फल मिलेगा उसके खत्म होने के बाद ही इस जन्म के कर्मों के फल मिलेंगे। बस यहीं कारण हैं कि कोई बुरा करने पर भी सुख़ भोगता है तो कोई अच्छा करने पर भी दर्द ही पाता हैं। इसलिए इंसान अपने अच्छे या बुरे कर्मो से केवल वही जन्म नहीं बल्कि अपना अगला जन्म भी लिखता है।

#बात  ऐसा क्यों
क्यों हमारे आंखो के सामने पाप करने पर भी उसे सिर्फ सुख ही मिलता है ?जबकि वो सिर्फ दुःख का अधिकारी है, क्यों किसी को अच्छे कर्मो के बदले उसे तकलीफ, दर्द के अलावा कुछ हांथ नहीं आता? मुझे भी ये सारे प्रश्न बहुत परेशान करते थे। एक दिन मैंने पापा से पूछा तो उन्होंने बोला की किसी भी इंसान या जानवर की अगले जन्म में मिलने वाला सुख, दुःख उसके पिछले जन्म के कर्मों पर भी निर्भर करता है। मान लो किसी ने अपने पूरी जिंदगी सिर्फ गलत काम ही किया और गलत काम करते करते ही वह मर गया अब उसकी आयु तो जितनी थी खत्म हो गई पर उसके कर्मों का फल खत्म नहीं हुआ तो फिर जब उसे अगला जन्म मिलेगा तो चाहे वह कितना अच्छा काम करे पहले उसे पिछले जन्म का शेष रह गया जो फल था वो मिलेगा फिर इस जन्म का। वैसे ही अगर किसी ने पिछले जन्म में बहुत अच्छा काम किया हो तो  आयु खत्म हो जाने के बाद अगले जन्म में कितना भी बुरा करे पहले उसे पिछले जन्म का फल मिलेगा उसके खत्म होने के बाद ही इस जन्म के कर्मों के फल मिलेंगे।
बस यहीं कारण हैं कि कोई बुरा करने पर भी सुख़ भोगता है तो कोई अच्छा करने पर भी दर्द ही पाता हैं।
इसलिए इंसान अपने अच्छे या बुरे कर्मो से केवल वही जन्म नहीं बल्कि अपना अगला जन्म भी लिखता है।

ऐसा क्यों

12 Love

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