तुम रोशनी करना ज्योत जैसे
मैं दीप बनकर सवारलुँगा
तुम पवित्र रेहना सीता जैसे
मैं राम बनकर सम्मान करुँगा
तुम अकेले रेहकार चाँद बन जाना
मैं रात बनकर साथ दूँगा
तुम राधा बनकर पुकारना
मैं कृष्णा बनकर वापस आऊँगा
तुम शब्द बनकर बिखर जाना
मैं अर्थ बनकर सम्भाल लुँगा
तुम अगर त्याग करो सती जैसा
मैं शिव बनकर प्रतीक्षा करूँगा
- शंतनू कोळेकर
©Shantanu Kolekar