उस सर्द सुबह को उसने मुझसे मिलने की इक्षा जाहिर की, और हम नींद का दामन छोड़ उससे मिलने उसके पसंदीदा कपड़े पहन बातये हुए समय से पहले उसका इंतेज़ार करने लगे
सर्द हवाओं के बीच भी मेरे चेहरे में एक अजीब का चमक था
शायद उसका मुझे इतने सुबह बुलाना ना जाने क्या बात होगा इस सोच ने मेरे चेहरे का चमक बढ़ा दिया
में बार- बार अपने मोबाइल का कैमरा चालू कर अपने आपको निहारता
में अच्छा तो दिख रहा हु ना
मिलने का समय करीब आने को था उससे मिलने की जिज्ञासा अब मेरे मन को विचलित करने लगा
में अपने दोनों हाथों को आपस मे रगड़ते हुए धुंध कोहरे के बीच उसके आने का इंतेज़ार करने लगा
आख़िरकार इंतेज़ार की घड़ियां समाप्त हुई
और एक मधुर सी आवाज़ मेरे कानों में सुनाई दिया 'अखिल"
मैंने देखा अपने नय स्वेटर, टोपी, हाथबन्द औऱ जूते पहन
वो धीरे-धीरे मेरी औऱ आ रही है
एक नय हर्ष-उल्लास ने मेरे जेहन में घर कर लिया
धड़कने बढ़ गई, चेहरे में मुस्कुराहट आ गया
औऱ मेरे पास आते ही पहले तो उसने मुझसे मेरा खैरियत पूछा, फिर कहा अखिल" तुम मुझे बहुत- बहुत पसंद हो, में हमेशा तुम्हारी दोस्त बनकर नही रह सकती, हर पल तुम्हारा ही ख्याल मे्रे जेहन में रहता है तुम्हारे साथ रहना मुझे अच्छा लगता हैं तुम्हारी बाते मुझे पसंद हैं तुम जिस अंदाज में मेरी तारीफ करते हो मेरा ख्याल रखते हो मुझे अच्छा लगता है क्या तुम हमेशा मेरे साथ रहोगे
उसक बातें सुनकर थोड़ी देर के लिए तो में स्तब्ध रह गया मानो साँसे थम सी गई धड़कनो ने धड़कना बंद कर दिया
आंखे खुली रही शरीर ठंडा पड़ गया
पर अंदर से में इतना ज्यादा खुश था कि ना तो में हा बोल पा रहा था औऱ ना ही ना
में जैसे ही उसके और बढ़ा मेरे क़दम अचानक रुक गय
जाने किस सोच ने मुझे आगे बढ़ने से रोक दिया
और में अपने क़दम पीछे खींचते हुए लौट आया किसी बुजदिल की तरह उसके आंखों में आंसू थे और वो मुझे एक टक लगाए देखती रही जब तक में उसके आंखों से ओझल नहीं हो गया।
©Akhilesh Dhurve
#सर्दसुबह...।❤️💕
#akhileshdhurve