वो सुशांत था चेहरे पर खुशी लिये, वो मन में शांत था | हिंदी कविता

"वो सुशांत था चेहरे पर खुशी लिये, वो मन में शांत था वो सुशांत था। बन के छिछोरा हमें जीना सिखा गया, मंसूर बनके धर्म का वो भेद मिटा गया। जिसके मुख पर सदा, शशि का कांत था, वो सुशांत था। औरों के जीवन को वो बाखूबी जी गया, पर अपनी जिंदगी में गम के प्याले पी गया। सपनों को पूरा करने में, जो दिल से था मगन, रुसवाइयों ने उसका शुरू कर दिया पतन। तन्हाइयों ने घेर जिसके मन का प्रांत था, वो सुशांत था, वो सुशांत था।"

 वो सुशांत था
चेहरे पर खुशी लिये, वो मन में शांत था
वो सुशांत था।

बन के छिछोरा हमें जीना सिखा गया,
मंसूर बनके धर्म का वो भेद मिटा गया।
जिसके मुख पर सदा, शशि का कांत था,
वो सुशांत था।

औरों के जीवन को वो बाखूबी जी गया,
पर अपनी जिंदगी में गम के प्याले पी गया।
सपनों को पूरा करने में, 
जो दिल से था मगन,
रुसवाइयों ने उसका शुरू 
कर दिया पतन।
तन्हाइयों ने घेर जिसके 
मन का प्रांत था,
वो सुशांत था,
वो सुशांत था।

वो सुशांत था चेहरे पर खुशी लिये, वो मन में शांत था वो सुशांत था। बन के छिछोरा हमें जीना सिखा गया, मंसूर बनके धर्म का वो भेद मिटा गया। जिसके मुख पर सदा, शशि का कांत था, वो सुशांत था। औरों के जीवन को वो बाखूबी जी गया, पर अपनी जिंदगी में गम के प्याले पी गया। सपनों को पूरा करने में, जो दिल से था मगन, रुसवाइयों ने उसका शुरू कर दिया पतन। तन्हाइयों ने घेर जिसके मन का प्रांत था, वो सुशांत था, वो सुशांत था।

#SushantSinghRajput

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