ऐसा भी एक दिन होता,
जब प्रेम के वृक्ष लगाए जाते,
हम सब उसके माली होते,
जो अपने प्रेम के आवरण से,
इस दुनिया को ढक लेता,
छाया तले उसकी,
प्रेम पत्रों की दुनिया होती,
उसके हर एक पत्ते पर,
सिर्फ स्नेह और दुलार होता,
जो सिर्फ प्रेम का फल देता,
नफरतों को खुद मे समेट लेता,
नफरत, डर और कुटिलता का,
एक सुखा पत्ता भी,
दिखता नहीं इस धरती पर,
प्रेम के ही हरे पत्तों की छाया मे,
मेरा तुम्हारा मिलन होता।।
@pandeyji
happy world environment
day..
©Ramakant Pandey