बद्दुआ देकर गया मुस्कुराने के बाद
याद फिर भी आता रहा जाने के बाद
वादे इरादे रस्में सभी तोड़ दी उसने
दुआ फिर भी मांगते रहे इस तरह मिटाने के बाद
गैरीयत करता रहा उम्मीद छोड़ी नहीं हमने
हर बार इंतज़ार करते रहे घर सजाने के बाद
एक शिद्दत से चाहा टूटकर उसे
वरना कोई याद आता नहीं भूल जाने के बाद
फरेब धोखा ये सभी का हुनर था उसे
आखिर सीख ही जाता है ये सब उसूल जाने के बाद
शायर - बाबू कुरैशी
#इंतज़ार ही सही