हमको अब ये खबर हो गई बाबा,
मंजिल ही अब सफर हो गई बाबा।
चेहरों को संवारने का वक्त गया अब,
हाँ देखो हमारी भी उमर हो गई बाबा।
जिंदगी से बनती नहीं कुछ तो हमारी,
मौत जब से हमसफर हो गई बाबा।
बे-नकाब जो चेहरे हुए अपनों के,
गैर दुनिया अपना घर हो गई बाबा।
जिन राहो पर मज़मे लगे देखे सबने,
कैसी खाली सी वो डगर हो गई बाबा।
©Krishna Awasthi
#Luminance