Krishna Awasthi

Krishna Awasthi Lives in Kanpur, Uttar Pradesh, India

हमारे साथ श्री रघुनाथ तो किस बात की चिंता।🌼

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#कविता #writing #newbook #New  My First Book

©Krishna Awasthi

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#शायरी  
वो  मेरी  बात  तो करता है,
पर मुझसे बात नही करता।

©Krishna Awasthi

वो मेरी बात तो करता है, पर मुझसे बात नही करता।

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अब आने वाले हर दुख को नमन करेंगे, जरूरतों के लिए इच्छाओं का दमन करेंगे। हम कल्पनाओं के पटल से आने को बाहर, वास्तविकताओं के धरातल पर हवन करेंगे। ह़यात के हारे हुए मुसाफिर फक़त रुकना नहीं, मंजिलों पर पहुंँचकर दूर अपनी थकन करेंगे। सादगी के रुप का अनुसरण होता नही अब, जो मिलेगा हमको जैसा, वैसा आचरण करेंगे। अब तो पापों की ये गठरी साथ ही ले जाएंगे, आएँगे जो गंगा घट तुम्हारे बस आचमन करेंगे। मोहब्बत का जिक्र हो तो सिर्फ प्यार की बातें करो, बाद उसके क्या हुआ फिर कभी डिस्कशन करेंगे। पूछते हो "कान्हा" क्या करोगे जो मिलोगे इस जन्म, बस तुम्हारे सामने हम प्रभु आत्मसमर्पण करेंगे। ©Krishna Awasthi

#शायरी  अब  आने   वाले   हर   दुख    को    नमन    करेंगे, 
जरूरतों   के   लिए   इच्छाओं   का   दमन   करेंगे।
हम   कल्पनाओं   के   पटल   से   आने  को बाहर, 
वास्तविकताओं   के   धरातल   पर   हवन   करेंगे।
ह़यात   के   हारे   हुए मुसाफिर फक़त रुकना नहीं,
मंजिलों   पर   पहुंँचकर   दूर   अपनी  थकन करेंगे।
सादगी   के   रुप   का   अनुसरण   होता नही अब, 
जो   मिलेगा   हमको   जैसा, वैसा आचरण करेंगे। 
अब तो  पापों  की  ये  गठरी  साथ  ही   ले  जाएंगे, 
आएँगे  जो  गंगा घट  तुम्हारे  बस  आचमन करेंगे।
मोहब्बत का जिक्र हो तो सिर्फ प्यार की बातें करो,
बाद  उसके  क्या हुआ फिर कभी डिस्कशन करेंगे।
पूछते हो "कान्हा" क्या करोगे जो मिलोगे इस जन्म,
बस  तुम्हारे  सामने  हम  प्रभु  आत्मसमर्पण   करेंगे।

©Krishna Awasthi

Krishna Awasthi ©

60 Love

ना जाने क्या-क्या बुझा आया, तिरे खातिर दीपक, घर को खाक में मिला आया क्यों आखिर दीपक। जब-जब जरूरत पड़ी घर को घर के चराँग की, हर घड़ी हर पहर कहता रहा हाँ है हाजिर दीपक। वो शख़्स रात में तारीकीयों से लड़ लौटा था घर रोशनी तुझे दे, ना होने दिया कुछ जाहिर दीपक। किसी का हौसला बनो तो किसी का दर्द सहो, इन सब मे तो हमेशा से था, बड़ा माहिर दीपक। ना पड़ने दिया कभी कोई मुसीबतों का साया उसने, चाहे घर पर रहा हो या रहा हो घर के बाहिर दीपक। हर शख्स का ख्याल ले जो घूमता जह़न मे हरपल, जान पड़ता है बडा़ तर्बियत-याफ़्ता नाजिर दीपक। ©Krishna Awasthi

#शायरी #Light  ना जाने क्या-क्या बुझा आया, तिरे खातिर दीपक,
घर को खाक में मिला आया क्यों आखिर दीपक।
जब-जब जरूरत पड़ी घर को घर के चराँग की,
हर घड़ी हर पहर कहता रहा हाँ है हाजिर दीपक।
वो शख़्स रात में तारीकीयों से लड़ लौटा था घर 
रोशनी तुझे दे, ना होने दिया कुछ जाहिर दीपक।
किसी का हौसला बनो तो किसी का दर्द सहो, 
इन सब मे तो हमेशा से था, बड़ा माहिर दीपक।
ना पड़ने दिया कभी कोई मुसीबतों का साया उसने,
चाहे घर पर रहा हो या रहा हो घर के बाहिर दीपक।
हर शख्स का ख्याल ले जो घूमता जह़न मे हरपल,
जान पड़ता है बडा़ तर्बियत-याफ़्ता नाजिर दीपक।

©Krishna Awasthi

#Light

53 Love

हमको अब ये खबर हो गई बाबा, मंजिल ही अब सफर हो गई बाबा। चेहरों को संवारने का वक्त गया अब, हाँ देखो हमारी भी उमर हो गई बाबा। जिंदगी से बनती नहीं कुछ तो हमारी, मौत जब से हमसफर हो गई बाबा। बे-नकाब जो चेहरे हुए अपनों के, गैर दुनिया अपना घर हो गई बाबा। जिन राहो पर मज़मे लगे देखे सबने, कैसी खाली सी वो डगर हो गई बाबा। ©Krishna Awasthi

#शायरी #Luminance  हमको अब ये खबर हो गई बाबा,
मंजिल ही अब सफर हो गई बाबा। 
चेहरों को संवारने का वक्त गया अब, 
हाँ देखो हमारी भी उमर हो गई बाबा।
जिंदगी से बनती नहीं कुछ तो हमारी,
मौत जब से हमसफर हो गई बाबा।
बे-नकाब जो चेहरे हुए अपनों के, 
गैर दुनिया अपना घर हो गई बाबा।
जिन राहो पर मज़मे लगे देखे सबने,
कैसी खाली सी वो डगर हो गई बाबा।

©Krishna Awasthi

#Luminance

52 Love

#कविता

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