हर किसी को मुक्कमल जहां नहीं मिलता
किसी को जमीं तो किसी को आसमां नहीं मिलता
बुने तो है कई सपने इन आंखों ने इस दिल ने
लेकिन हर किसी को उसे साकार करने का हक नहीं मिलता
चाहता तो हर कोई है जिंदगी जीना अपने हिसाब से
लेकिन हर परिंदे को खुला आसमां नहीं मिलता
©HSE YasH KhaN
हर किसी को मुक्कमल जहां नहीं मिलता
किसी को जमीं तो किसी को आसमां नहीं मिलता
बुने तो है कई सपने इन आंखों ने इस दिल ने
लेकिन हर किसी को उसे साकार करने का हक नहीं मिलता