कलाई ने मेरी चूड़ी खनकाई है
पैरों ने मेरी पायल छनकाई है
मैंने हाथों में मंहेदी रची है साजन
जब जब मुझे तेरी याद सताई है
लाल चुनरिया मैं ओढ़ लेती हूं
हरी साड़ी तेरे लिए पहन लेती हूं
अपने आंखों में काजल संग साजन
आंसुओ की धार भी भर लेती हूं
महावर से अपने पैरों को सजाती हूं
घर के आंगन में रंगोली भी बनातीं हूं
पैरों में बिछिया पहनने को साजन
मैं तुम्हारी राह देखती रहती हूं
दर्पण देखकर खुद को संवारती हूं
गजरा भी अपने हाथ से लगा लेती
मंगल सूत्र पहनने को साजन
मैं बस तुम्हारा इंतज़ार करतीं हूं
ऊर्मिला सा मैं जीवन जी रही हूं
तुम्हारे लौटने का इंतजार कर रही हूं
मांग मेरी आज भी सूनी ही है
हाथों में सिन्दूर लिए बैठी रहती हूं।।
✍️ बंजारन ...
#HappyEid