कलाई ने मेरी चूड़ी खनकाई है
पैरों ने मेरी पायल छनक
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कलाई ने मेरी चूड़ी खनकाई है पैरों ने मेरी पायल छनकाई है मैंने हाथों में मंहेदी रची है साजन जब जब मुझे तेरी याद सताई है लाल चुनरिया मैं ओढ़ लेती हूं हरी साड़ी तेरे लिए पहन लेती हूं अपने आंखों में काजल संग साजन आंसुओ की धार भी भर लेती हूं महावर से अपने पैरों को सजाती हूं घर के आंगन में रंगोली भी बनातीं हूं पैरों में बिछिया पहनने को साजन मैं तुम्हारी राह देखती रहती हूं दर्पण देखकर खुद को संवारती हूं गजरा भी अपने हाथ से लगा लेती मंगल सूत्र पहनने को साजन मैं बस तुम्हारा इंतज़ार करतीं हूं ऊर्मिला सा मैं जीवन जी रही हूं तुम्हारे लौटने का इंतजार कर रही हूं मांग मेरी आज भी सूनी ही है हाथों में सिन्दूर लिए बैठी रहती हूं।। ✍️ बंजारन ...

#HappyEid  कलाई ने मेरी चूड़ी खनकाई है
पैरों ने मेरी पायल छनकाई है
मैंने हाथों में मंहेदी रची है साजन
जब जब मुझे तेरी याद सताई है

लाल चुनरिया मैं ओढ़ लेती हूं
हरी साड़ी तेरे लिए पहन लेती हूं
अपने आंखों में काजल संग साजन
आंसुओ की धार भी भर लेती हूं

महावर से अपने पैरों को सजाती हूं
घर के आंगन में रंगोली भी बनातीं हूं
पैरों में बिछिया पहनने को साजन
मैं तुम्हारी राह देखती रहती हूं

दर्पण देखकर खुद को संवारती हूं
गजरा भी अपने हाथ से लगा लेती
मंगल सूत्र पहनने को साजन
मैं बस तुम्हारा इंतज़ार करतीं हूं

ऊर्मिला सा मैं जीवन जी रही हूं
तुम्हारे लौटने का इंतजार कर रही हूं
मांग मेरी आज भी सूनी ही है
हाथों में सिन्दूर लिए बैठी रहती हूं।।

         ✍️ बंजारन ...

#HappyEid

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कलाई ने मेरी चूड़ी खनकाई है पैरों ने मेरी पायल छनकाई है मैंने हाथों में मंहेदी रची है साजन जब जब मुझे तेरी याद सताई है लाल चुनरिया मैं ओढ़ लेती हूं हरी साड़ी तेरे लिए पहन लेती हूं अपने आंखों में काजल संग साजन आंसुओ की धार भी भर लेती हूं महावर से अपने पैरों को सजाती हूं घर के आंगन में रंगोली भी बनातीं हूं पैरों में बिछिया पहनने को साजन मैं तुम्हारी राह देखती रहती हूं दर्पण देखकर खुद को संवारती हूं गजरा भी अपने हाथ से लगा लेती मंगल सूत्र पहनने को साजन मैं बस तुम्हारा इंतज़ार करतीं हूं ऊर्मिला सा मैं जीवन जी रही हूं तुम्हारे लौटने का इंतजार कर रही हूं मांग मेरी आज भी सूनी ही है हाथों में सिन्दूर लिए बैठी रहती हूं।। ✍️ बंजारन ...

#HappyEid  कलाई ने मेरी चूड़ी खनकाई है
पैरों ने मेरी पायल छनकाई है
मैंने हाथों में मंहेदी रची है साजन
जब जब मुझे तेरी याद सताई है

लाल चुनरिया मैं ओढ़ लेती हूं
हरी साड़ी तेरे लिए पहन लेती हूं
अपने आंखों में काजल संग साजन
आंसुओ की धार भी भर लेती हूं

महावर से अपने पैरों को सजाती हूं
घर के आंगन में रंगोली भी बनातीं हूं
पैरों में बिछिया पहनने को साजन
मैं तुम्हारी राह देखती रहती हूं

दर्पण देखकर खुद को संवारती हूं
गजरा भी अपने हाथ से लगा लेती
मंगल सूत्र पहनने को साजन
मैं बस तुम्हारा इंतज़ार करतीं हूं

ऊर्मिला सा मैं जीवन जी रही हूं
तुम्हारे लौटने का इंतजार कर रही हूं
मांग मेरी आज भी सूनी ही है
हाथों में सिन्दूर लिए बैठी रहती हूं।।

         ✍️ बंजारन ...

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