तुम्हारे दर प दस्तक दे रहा हूँ मैं अपने दिल को ठं | हिंदी Poetry

"तुम्हारे दर प दस्तक दे रहा हूँ मैं अपने दिल को ठंडक दे रहा हूँ मुझे जो दर्द अपनों ने दिया है मैं उससे भी भयानक दे रहा हूँ जमा करना मिरी यादों को अक्सर मैं तुमको एक गुल्लक दे रहा हूँ तुम्हें भी देखना है साफ दुनिया तुम्हें मैं अपनी एैनक दे रहा हूँ उसे बिछड़े ज़माना हो गया है सदाएँ लेकिन अब तक दे रहा हूँ रिज़वान हैदर . ©Tammar Naqvi Rizwan"

 तुम्हारे दर प दस्तक दे रहा हूँ 
मैं अपने दिल को ठंडक दे रहा हूँ 

मुझे जो दर्द अपनों ने दिया है 
मैं उससे भी भयानक दे रहा हूँ 

जमा करना मिरी यादों को अक्सर 
मैं तुमको एक गुल्लक दे रहा हूँ 

तुम्हें भी देखना है साफ दुनिया 
तुम्हें मैं अपनी एैनक दे रहा हूँ 

उसे बिछड़े ज़माना हो गया है 
सदाएँ लेकिन अब तक दे रहा हूँ



                           


                                                                 रिज़वान हैदर











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©Tammar Naqvi Rizwan

तुम्हारे दर प दस्तक दे रहा हूँ मैं अपने दिल को ठंडक दे रहा हूँ मुझे जो दर्द अपनों ने दिया है मैं उससे भी भयानक दे रहा हूँ जमा करना मिरी यादों को अक्सर मैं तुमको एक गुल्लक दे रहा हूँ तुम्हें भी देखना है साफ दुनिया तुम्हें मैं अपनी एैनक दे रहा हूँ उसे बिछड़े ज़माना हो गया है सदाएँ लेकिन अब तक दे रहा हूँ रिज़वान हैदर . ©Tammar Naqvi Rizwan

#humantouch

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