इश्क़ में पास आकर भी तुमने जो दूरी रखी
फिर मैंने सिर्फ तुम्हारे जिस्म की हवस रखी
मैंने कभी ये अरमान कंदिलो में नहीं जलाये
खुले आसमां के नीचे हवाओं में धुयें उड़वाये
कोई रकम ना थी तेरी याद जो संभाले रखता
ये कभी न पूछ लेना क्यूँ मैं यूँ ना फिर लिखता
मेरा जो हैं पहाड़ अपने ही तरीके से तोड़ दिया
करवटों को अपने इन कागज़ों में निचोड़ दिया
©YashMehta
#Winter