पढ़ना-लिखना सीखो, ओ मेहनत करने वालों।
पढ़ना-लिखना सीखो, ओ भूख से मरने वालों।
क ख ग घ को पहचानो,
अलिफ़ को पढ़ना सीखो।
अ आ इ ई को हथियार,
बनाकर लड़ना सीखो।
ओ सड़क बनाने वालो, ओ भवन उठाने वालो।
ख़ुद अपनी किस्मत का फ़ैसला, अगर तुम्हें करना है।
ओ बोझा ढोने वालों, ओ रेल चलाने वालों।
अगर देश की बागडोर को, कब्ज़े में करना है।
क ख ग घ को पहचानो,
अलिफ़ को पढ़ना सीखो।
अ आ इ ई को हथियार,
बनाकर लड़ना सीखो।
पूछो, मजदूरी की खातिर लोग भटकते क्यों हैं?
पढ़ो, तुम्हारी सूखी रोटी गिद्ध लपकते क्यों हैं?
पूछो, माँ-बहनों पर यों बदमाश झपटते क्यों हैं?
पढ़ो, तुम्हारी मेहनत का फल सेठ गटकते क्यों हैं?
पढ़ो, लिखा है दीवारों पर मेहनतकश का नारा।
पढ़ो, पोस्टर क्या कहता है, वो भी दोस्त तुम्हारा।
पढ़ो, अगर अंधे विश्वासों से पाना छुटकारा।
पढ़ो, किताबें कहती हैं – सारा संसार तुम्हारा।
पढ़ो, कि हर मेहनतक़श को उसका हक दिलवाना है।
पढ़ो, अगर इस देश को अपने ढंग से चलवाना है।
पढ़ना-लिखना सीखो, ओ मेहनत करने वालों।
पढ़ना-लिखना सीखो, ओ भूख से मरने वालों।
©अरफ़ान भोपाली
#Poetry