मेरी प्यारी ज़िन्दगी,
है तू तो क्यों ना तुझे जी लूं !
अगर मुझे पसंद ही जहर है तो क्यों ना उसे पी लूं !!
तुम कौन होते हो मुझे चुप कराने वाले!
अगर मुझे बोलना ही पसंद है तो क्यों जुबान सी लूं !!
मेरी प्यारी जिंदगी है तू तो क्यों ना तुझे जी लूं !!
जब मुझे तू मिली थी तब कोई नहीं था मेरे साथ !
तो अब क्यों जहां सिखलाता है तौर-तरीके जीने के !!
जब मैं खुद सोच सकता हूं तो तुझसे क्यों राय भी लूं !
मेरी प्यारी जिंदगी है तू तो क्यों ना तुझे जी लूं!!
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