मुहब्बत का पहला पहला. मुझे तुम खत लिखोगी कब उठाकर | हिंदी शायरी
"मुहब्बत का पहला पहला. मुझे तुम खत लिखोगी कब
उठाकर शर्म का चश्मा. नयन दो चार करोगी कब
मनाने को करे दिल पर. गुस्सा ज़्यादा लगे सुंदर
समय की राह में जाना. ऐसे हम से रूठोगी कब"
मुहब्बत का पहला पहला. मुझे तुम खत लिखोगी कब
उठाकर शर्म का चश्मा. नयन दो चार करोगी कब
मनाने को करे दिल पर. गुस्सा ज़्यादा लगे सुंदर
समय की राह में जाना. ऐसे हम से रूठोगी कब