मुहब्बत का पहला पहला. मुझे तुम खत लिखोगी कब
उठाकर शर्म का चश्मा. नयन दो चार करोगी कब
मनाने को करे दिल पर. गुस्सा ज़्यादा लगे सुंदर
समय की राह में जाना. ऐसे हम से रूठोगी कब
अपने अंदर छुपे अवगुणों का नाश किजिए
नफरत मिटाइ ये मोहब्बत को पास किजिए
झूठ को छोड़ो सच बोलने का प्रयास किजिए
अपनो से दूरी नहीं रिश्ता खासम ख़ास किजिए
राम को नहीं.राम के गुणों का दिल मे वास किजिए
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