पूनम के चांद ईद के चांद हो जायेंगे, साथ बिताए पल अ | हिंदी कविता

"पूनम के चांद ईद के चांद हो जायेंगे, साथ बिताए पल अब याद बनकर आयेंगे। तुमसे दूर जाने को ये मन तो नहीं करता, विरह के ये क्षण बहुत सताएंगे। हां चले गए दूर तुमसे, लेकिन क्या तुम बिन रह पाएंगे? आ जायेगी फिर ये बिन बुलाई दूरियां, कैसे विरह के पलों को काट पाएंगे ? पल पल के समय कल्प जैसे बीतेंगे, सदियों से लंबे अब दिन लगने लगेंगे। अमावस की ये एक रात है, तुम्हारे ईद का चांद होने से पहले पूनम की रात लेके आयेंगे। ©SURENDRA SINGH"

 पूनम के चांद ईद के चांद हो जायेंगे,
साथ बिताए पल अब याद बनकर आयेंगे।
तुमसे दूर जाने को ये मन तो नहीं करता,
विरह के ये क्षण बहुत सताएंगे।
हां चले गए दूर तुमसे,
लेकिन क्या तुम बिन रह पाएंगे?
आ जायेगी फिर ये बिन बुलाई दूरियां,
कैसे विरह के पलों को काट पाएंगे ?
पल पल के समय कल्प जैसे बीतेंगे,
सदियों से लंबे अब दिन लगने लगेंगे।
अमावस की ये एक रात है,
तुम्हारे ईद का चांद होने से पहले
पूनम की रात लेके आयेंगे।

©SURENDRA SINGH

पूनम के चांद ईद के चांद हो जायेंगे, साथ बिताए पल अब याद बनकर आयेंगे। तुमसे दूर जाने को ये मन तो नहीं करता, विरह के ये क्षण बहुत सताएंगे। हां चले गए दूर तुमसे, लेकिन क्या तुम बिन रह पाएंगे? आ जायेगी फिर ये बिन बुलाई दूरियां, कैसे विरह के पलों को काट पाएंगे ? पल पल के समय कल्प जैसे बीतेंगे, सदियों से लंबे अब दिन लगने लगेंगे। अमावस की ये एक रात है, तुम्हारे ईद का चांद होने से पहले पूनम की रात लेके आयेंगे। ©SURENDRA SINGH

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