उसकी मंजिल के रास्ते में हूं, उससे कभी राब्ता हो,

"उसकी मंजिल के रास्ते में हूं, उससे कभी राब्ता हो, उसे उम्मीद ना मिलने की, मुझे उम्मीद_ए_नाज़ कि फिर उससे वास्ता हो वो क्या भूल गया आपने किये सितम, या खुदा याद आये उस सब कुछ, कोई तो ऐसा हादसा हो, ©Neerav Nishani"

 उसकी मंजिल के रास्ते में हूं,
उससे कभी राब्ता हो,
उसे उम्मीद ना मिलने की,
मुझे उम्मीद_ए_नाज़ कि फिर उससे वास्ता हो
वो क्या भूल गया आपने किये सितम,
या खुदा याद आये उस सब कुछ,
कोई तो ऐसा हादसा हो,

©Neerav Nishani

उसकी मंजिल के रास्ते में हूं, उससे कभी राब्ता हो, उसे उम्मीद ना मिलने की, मुझे उम्मीद_ए_नाज़ कि फिर उससे वास्ता हो वो क्या भूल गया आपने किये सितम, या खुदा याद आये उस सब कुछ, कोई तो ऐसा हादसा हो, ©Neerav Nishani

उसकी मंजिल के रास्ते में हूं,
उससे कभी राब्ता हो,
उसे उम्मीद ना मिलने की,
मुझे उम्मीद_ए_नाज़ कि फिर उससे वास्ता हो
वो क्या भूल गया आपने किये सितम,
या खुदा याद आये उस सब कुछ,
कोई तो ऐसा हादसा हो,

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