मैं दोहरे किरदार की
ज़िंदगी निभा रहा हूं,
हर किसी को खुश रखने
के लिए,
मैं ख़ुद में ही मरता जा रहा हूं,
ना वफ़ा है,ना प्यार है
फिर भी मैं मुस्कुरा रहा हूं,
परेशां हूं मैं अब
हां मैं अपनी कहानी
बता रहा हूं,
ना हमदर्द है मेरा
जो मेरे दर्द को समझेगा
ना मैं हमदर्दी किसी से
जता रहा हूं,
वो वादे वो कसमें
मेरे किस काम की,
ना मैं कोई झूठी कसमें
खा रहा हूं,
हर पहर की शाम के बाद
दिन ढ़ल ही जाता है,
मैं अपनी गुमनामी की
बात सबसे छुपा रहा हूं
©शायर-गुमनाम।
#दर्द मेरा जैसे मेहमां है।