हा, माना हर बार मे सही नहीं हो सकती पर क्या, तुमार | हिंदी Poetry

"हा, माना हर बार मे सही नहीं हो सकती पर क्या, तुमारी ऊंची आवाज सुनकर तुम्हे सही मानलू..? चलो माना हम दोनो, एक दूजे के फ़ैसले पर राज़ी नहीं... पर क्या, आपस मे बात ना करना, सही है क्या..? ©Reena Tanwar"

 हा, माना हर बार मे सही नहीं हो सकती
पर क्या, तुमारी ऊंची आवाज सुनकर
तुम्हे सही मानलू..?

चलो माना हम दोनो,
एक दूजे के फ़ैसले पर राज़ी नहीं...
पर क्या, आपस मे बात ना करना,
सही है क्या..?

©Reena Tanwar

हा, माना हर बार मे सही नहीं हो सकती पर क्या, तुमारी ऊंची आवाज सुनकर तुम्हे सही मानलू..? चलो माना हम दोनो, एक दूजे के फ़ैसले पर राज़ी नहीं... पर क्या, आपस मे बात ना करना, सही है क्या..? ©Reena Tanwar

#walkingalone

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