जो मौन रहे इतिहास में वो कायर कहलाए। हो चाहे बड़े | हिंदी शायरी

"जो मौन रहे इतिहास में वो कायर कहलाए। हो चाहे बड़े धनुर्धर वो चाहे भीष्म कहलाए।। द्रोपदी के चीरहरण पर कृष्ण स्वयं ही आए। सुसभ्य राजसभा मगर कुल लाज बचा न पाए।। मूक दर्शक होकर सबके सब भागी होते जाते है। नाश यूंही नही होता उसके बीज बोए जाते है।। देव ©dev merutha"

 जो मौन रहे इतिहास में वो कायर कहलाए।
हो चाहे बड़े धनुर्धर वो चाहे भीष्म कहलाए।।
द्रोपदी के चीरहरण पर कृष्ण स्वयं ही आए।
सुसभ्य राजसभा मगर कुल लाज बचा न पाए।।
मूक दर्शक होकर सबके सब भागी होते जाते है।
नाश यूंही नही होता उसके बीज बोए जाते है।।
देव

©dev merutha

जो मौन रहे इतिहास में वो कायर कहलाए। हो चाहे बड़े धनुर्धर वो चाहे भीष्म कहलाए।। द्रोपदी के चीरहरण पर कृष्ण स्वयं ही आए। सुसभ्य राजसभा मगर कुल लाज बचा न पाए।। मूक दर्शक होकर सबके सब भागी होते जाते है। नाश यूंही नही होता उसके बीज बोए जाते है।। देव ©dev merutha

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