लगता हैं मोसम आज बेईमानी सा कर रहा हैं
अजीब सी शेतानी सी कर रहा हैं
हम कह रहे हैं यूँ इस कदर हमारी जुल्फ़ो को ना घेरो
फ़िर भी बाज़ अपनी आदतो से नही आ रहा हैं
ये मोसम भी ना बडा अजीब हैं
बार बार रुख अपना बदल हमसे जल रहा हैं
कह रहे हैं हम उनसे ऐसे हमे ना छेडो
फ़िर भी जालिम हमसे अकड़ रहा हैं
ये मोसम भी ना बडी शेतानी सा कर रहा हैं
ना वक़्त देखता ना राह
बस अकड़ हमसे आंख मिचोली सी कर रहा हैं
ये मोसम भी ना..........
ये मोसम भी ना.... ❤😊♡