पुराने लम्हें कुछ यूं याद आते हैं
जैसे एक बूंद से शुरु हाेकर
बरसात की बूंदें
रिम झिम बरसने लगती है
कुछ यूं ही ये अतीत की यादें
एक एक कर के बरसने लगती हैं
बरसती कुछ यूं हैं
कि मायूस सा चेहरा
खुशी की लहराें में तब्दील हाे जाता है
तभी अचानक एक किस्सा
रूह काे कुछ यूं हिला देता है
जैसे इन्ही बरसाताें के बीच
जाेर जाेर से बादलाें का घरजना
मन काे भयभीत कर देता है
आैर इसी घरजना के बीच कही
अतीत काे याद कर जाे चेहरा
खुशी की लहराें से खिल गया था
वाे यादाें के तूफान से सहम जाता है
आैर फिर शुरु हाे जाती है
आँखाे की बरसातें
तब बरस बरस कर ये भी
खुद काे हल्का कर देती है
कुछ यूं ही हाेती है ये यादें
जाे एक पल में हँसी
ताे दूसरे पल मायूस कर जाती हैं |
-rinkykala