कुछ ख्वाहिशे हमारी और कुछ ख्वाब मां पापा के समेटकर एक नए शहर में खुशियां तलाशने लगे हैं
और क्या करे यार अब तो अपने शहर भी बस महमान की तरह आने लगे हैं
खुद लेकर एक गिलास पानी न पीने वाले बच्चे अब तो खाना भी खुद ही बनाने लगे हैं
कुछ सपने हैं जो उन्हें रातों को भी जगाने लगे हैं
अब तो अपने शहर भी बस मेहमान की तरह आने लगे हैं
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