मैं शायद उतना जता नहीं पातीं!
जितना चाहतीं हूं, तुम्हें!
कुछ कह नहीं पाती!
लेकिन तेरे हर जज्बात से!
वाकिफ हूं, मैं!
हर वक़्त साथ तेरे मैं!
चल नहीं पातीं!
लेकिन तेरा हाथ थामी हूं, मैं!
कैसे करूं बयां मैं!
अपनी चाहत को इन अल्फाजों में!
बस तू इतना समझ लें!
अधूरे अल्फाजों की कहानी हैं, तू!
जो उसे पूरा कर दें वो कलम हूं, मैं!
–Tanu's Diary....✍️
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