#LabourDay मैं एक मजदूर हूँ भगवान की आंखों से मैं | हिंदी कविता

"#LabourDay मैं एक मजदूर हूँ भगवान की आंखों से मैं दूर हूँ छत खुला आकाश है हो रहा वज्रपात है फिर भी नित दिन मैं गाता राम धुन हूँ गुरु हथौड़ा हाथ में कर रहा प्रहार है सामने पड़ा हुआ बच्चा कराह रहा है फिर भी अपने में मगन कर्म में तल्लीन हूँ मैं एक मजदूर हूँ भगवान की आंखों से मैं दूर हूँ। आत्मसंतोष को मैंने जीवन का लक्ष्य बनाया चिथड़े फटे कपड़ों में सूट पहनने का सुख पाया मानता जीवन को सुख-दुख का संगीत है मैं एक मजदूर हूँ भगवान की आंखों से मैं दूर हूँ। ©S Talks with Shubham Kumar"

 #LabourDay  मैं एक मजदूर हूँ
भगवान की आंखों से मैं दूर हूँ
छत खुला आकाश है
हो रहा वज्रपात है
फिर भी नित दिन मैं
गाता राम धुन हूँ
गुरु हथौड़ा हाथ में
कर रहा प्रहार है
सामने पड़ा हुआ
बच्चा कराह रहा है
फिर भी अपने में मगन
कर्म में तल्लीन हूँ
मैं एक मजदूर हूँ
भगवान की आंखों से मैं दूर हूँ। 

आत्मसंतोष को मैंने
जीवन का लक्ष्य बनाया
चिथड़े फटे कपड़ों में
सूट पहनने का सुख पाया
मानता जीवन को
सुख-दुख का संगीत है
मैं एक मजदूर हूँ
भगवान की आंखों से मैं दूर हूँ।

©S Talks with Shubham Kumar

#LabourDay मैं एक मजदूर हूँ भगवान की आंखों से मैं दूर हूँ छत खुला आकाश है हो रहा वज्रपात है फिर भी नित दिन मैं गाता राम धुन हूँ गुरु हथौड़ा हाथ में कर रहा प्रहार है सामने पड़ा हुआ बच्चा कराह रहा है फिर भी अपने में मगन कर्म में तल्लीन हूँ मैं एक मजदूर हूँ भगवान की आंखों से मैं दूर हूँ। आत्मसंतोष को मैंने जीवन का लक्ष्य बनाया चिथड़े फटे कपड़ों में सूट पहनने का सुख पाया मानता जीवन को सुख-दुख का संगीत है मैं एक मजदूर हूँ भगवान की आंखों से मैं दूर हूँ। ©S Talks with Shubham Kumar

मैं एक मजदूर हूँ

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