#LabourDay मजदूर
आज भी ईंटों की भट्ठियों में अरमां हमारे पकाये जाते हैं,
ना मैं सुबह देखता
ना देर शाम तक थकता
मेरे परिश्रम से पत्थर भी थर्राते हैं
कभी ना होता अपने कामों से परेशान
मैं मजदूर हूं मजदूरी करना मेरा काम
कोयलों की खानों में से आज़ भी हीरे ढूंढ़ ले आता हूं,
भर पेट भोजन को आज़ भी तरसता मैं,
नाम मजदूर है मेरा
मजदूरी मेरा अभिनय
कड़ी मेहनत मेरा श्रृंगार
जो झेलता रहता धूप और बारिश की बौछार,
दिनभर करता हूं मैं
काम ही काम
फिर भी बच्चे मेरे भूख से तड़पते
पत्नी रोती और कहती छोड़ो मजदूरी,कर लो कोई दूसरा काम
नहीं काम का कोई अन्य विकल्प
इसके सिवा और नहीं आता कोई दूसरा काम
कभी - कभी दिनभर काम तलाशता
हररोज तो साहब नहीं मिलता मुझे काम
जी तोड़ मैं परिश्रम करता
अपने देश की सेवा करता
भारत मां का मैं सच्चा सपूत
अपनी मेहनत से करता
मैं पूरे देश को
©purvarth
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