रिश्तों में जब शर्ते आ जाती है, रिश्ते तब व्यापार | हिंदी कविता

"रिश्तों में जब शर्ते आ जाती है, रिश्ते तब व्यापार बन जाते है। रिश्तों में जब जिम्मेदारी घट जाती है, रिश्तों में तब तल्खी आ जाती है। संजय सक्सेना, प्रयागराज। ©Sanjai Saxena"

 रिश्तों में जब शर्ते आ जाती है,
रिश्ते तब व्यापार बन जाते है।
रिश्तों में जब जिम्मेदारी घट जाती है,
रिश्तों में तब तल्खी आ जाती है।

संजय सक्सेना,
प्रयागराज।

©Sanjai Saxena

रिश्तों में जब शर्ते आ जाती है, रिश्ते तब व्यापार बन जाते है। रिश्तों में जब जिम्मेदारी घट जाती है, रिश्तों में तब तल्खी आ जाती है। संजय सक्सेना, प्रयागराज। ©Sanjai Saxena

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