त्योहारों की यही खास बात है कि वो अपनी तासीर में मन को उड़ा ले जाते हैं... उदासियों को कुछ देर को दूर धकेल देते हैं.... बीते दिनों ने लम्हों की अहमियत खूब बताई है...जो लोग साथ थे अब नहीं हैं.... खुश होने की इच्छा भी अब गुनाह लगती है....जानता हूँ कितनी ही देहरियों पर उदासी का दिया ही जलेगा
बिछुड़े हुओं को याद करते हुए हम सब उदासी की नदी में तैर रहे हैं...पार जाना चाहते हैं, तो कई बार उसी उदास नदी में डूब जाना चाहते हैं
लेकिन जीवन की पुकार खींचती है.
जीवन की पुकार को सुना जाना जरूरी है.... जीना जरूरी है.....
©ऋषभ राज
#Diwali