चंद शब्द शहीदों के,,,,,,,,,
(***जय हिन्द***)
लड़ता रहा था कोई अपने सारे गम
भुला कर।
ना नींदें हि पूरी की उसने ना उसे शुकून
ही था ।
बस ख्वाब देखा था आजादी का हर रोज
उन्होंने ।
उन्हें जान खुद की लुटाने का भी कोई गिला
ही ना था।
और सौंप गए तुम्हें ये प्यारा सा आजाद
वतन ।
जबकि खुद के कल के लिए उन्होंने सोचा
ना था।
हमेशा कद्र करना इस वतन की अगर हो
सके तुम से।
हमने तो अपने ख्वाबों में इस से बेहतर कुछ
सोचा ही ना था।
©Vickram
चंद शब्द शहीदों के,,,,,,,