"क्यों बेरुखी में जाने जा जिंदगी बिता रही हो
क्यों हमारे खातिर खुद को मिटा रही हो
गुनाह- ए-हकदार तो हम थे तेरी मोहब्बत में R.N
फिर सजा ए मोहब्बत तुम क्यों काट रही हो
✍️R.N"
क्यों बेरुखी में जाने जा जिंदगी बिता रही हो
क्यों हमारे खातिर खुद को मिटा रही हो
गुनाह- ए-हकदार तो हम थे तेरी मोहब्बत में R.N
फिर सजा ए मोहब्बत तुम क्यों काट रही हो
✍️R.N