पूनम की वो चाँदनी थी और रात के उस उजाले में उसका | हिंदी Shayari

"पूनम की वो चाँदनी थी और रात के उस उजाले में उसका उड़ता हुआ दुपट्टा मेरी शर्ट में आ अटका था और इतनी ललक थी उसकी मुस्कान में उस दिन मानो पूर्णिमा का चाँद उतर कर उसके चेहरे पर आ लटका था || ©Pratyush Srivastava"

 पूनम की वो चाँदनी थी
 और रात के उस उजाले में 
उसका उड़ता हुआ दुपट्टा 
मेरी शर्ट में आ अटका था 

और इतनी ललक थी
उसकी मुस्कान में उस दिन 
मानो पूर्णिमा का चाँद उतर कर 
उसके चेहरे पर आ लटका था ||

©Pratyush Srivastava

पूनम की वो चाँदनी थी और रात के उस उजाले में उसका उड़ता हुआ दुपट्टा मेरी शर्ट में आ अटका था और इतनी ललक थी उसकी मुस्कान में उस दिन मानो पूर्णिमा का चाँद उतर कर उसके चेहरे पर आ लटका था || ©Pratyush Srivastava

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