ना जाने कहां-कहां से गुजरे हैं हम.. कि अब हर दिन ब | हिंदी Love

"ना जाने कहां-कहां से गुजरे हैं हम.. कि अब हर दिन बस गुजर से रहे हैं! महज़ फर्क इतना है कि अब हिज्र में हैं.. वरना मरते तब भी थे ,मर अब भी रहे हैं! ©Ankur Bharti"

 ना जाने कहां-कहां से गुजरे हैं हम..
कि अब हर दिन बस गुजर से रहे हैं! 
महज़ फर्क इतना है  कि अब हिज्र में हैं.. 
वरना मरते तब भी थे ,मर अब भी रहे हैं!

©Ankur Bharti

ना जाने कहां-कहां से गुजरे हैं हम.. कि अब हर दिन बस गुजर से रहे हैं! महज़ फर्क इतना है कि अब हिज्र में हैं.. वरना मरते तब भी थे ,मर अब भी रहे हैं! ©Ankur Bharti

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