उजालों में बुक्षे हैं, अंधेरों में जले हैं हम
तुमने जब, जहाँ, जिस रूप में पुकारा..
तुमको उस रूप में मिले हैं हम!
न शिकायत तुमसे है, न ही तुम्हारे रूझान से..
जहाँ जहाँ तुम्हारी नजाकत हुई..
वहाँ वहाँ पर फिसले हैं हम!
तुम्हारी अकीदत हमारी फजीहत ही सही..
वफ़ा के लेख-जोख में फकत..
आज भी तुमसे बडे़ हैं हम!!
©Ankur Bharti
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