दिल के सेहरा में कोई आस का जुगनू भी नहीं, इतना | हिंदी Poetry Video

"दिल के सेहरा में कोई आस का जुगनू भी नहीं, इतना रोया हूं कि अब आंख में आंसू भी नहीं, कासा ये दर्द लिए फिरती है गुलशन की हवा, मेरे दामन में तेरे प्यार की खुशबू भी नहीं, छीन गया मेरी निगाहों से भी ऐसा सब जमाल, तेरी तस्वीर में पहला सा वो जादू भी नहीं, मौस दर मौस तेरे गम की सफक खिलती है, मुझे सिलसिला रंग पर काबू भी नहीं, दिल वह कमबख्त कि धड़के ही चला जाता है, यह अलग बात की तु जीमते पहलू भी नहीं, यह अजब राहगुजर है कि चट्टानें तो बहुत, और सहारे को तेरी याद के बाजू भी नहीं | ©Ankur@vinay "

दिल के सेहरा में कोई आस का जुगनू भी नहीं, इतना रोया हूं कि अब आंख में आंसू भी नहीं, कासा ये दर्द लिए फिरती है गुलशन की हवा, मेरे दामन में तेरे प्यार की खुशबू भी नहीं, छीन गया मेरी निगाहों से भी ऐसा सब जमाल, तेरी तस्वीर में पहला सा वो जादू भी नहीं, मौस दर मौस तेरे गम की सफक खिलती है, मुझे सिलसिला रंग पर काबू भी नहीं, दिल वह कमबख्त कि धड़के ही चला जाता है, यह अलग बात की तु जीमते पहलू भी नहीं, यह अजब राहगुजर है कि चट्टानें तो बहुत, और सहारे को तेरी याद के बाजू भी नहीं | ©Ankur@vinay

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