#WorldEnvironmentDay पौध रोपती गुडिय़ा जब ये । मोनू | मराठी कविता

"#WorldEnvironmentDay पौध रोपती गुडिय़ा जब ये । मोनू पानी देता है , बच्चों के संग खेल खेल का खेल अजब यह होता है ,, वृक्ष हमारे जीवन साथी शिक्षक ये बतलाते हैं , स्वच्छ वायु और जडी बूटियां सब इनमें हम पाते हैं ,, तेज धूप में राही देखो बैठ यही सुस्ताते हैं , दुर्वा घास भी लगती प्यारी जब पथ में पाँव जल जाते हैं ,, वृक्षो को हम मित्र बनाए बडे़ बुजुर्ग भी बतलाते है , थक कर हारे जब जीवन में यह अपनी छाँव सुलाते हैं ,, सूखी टहनी से इर्धन भी हम सब इनसे पाते है , डाल से टूटे पत्तो से हम देखो कम्पोस्ट बनाते है ,, पौध रोपती गुडिय़ा जब ये मोनू पानी देता है ,, ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR"

 #WorldEnvironmentDay पौध रोपती गुडिय़ा जब ये ।
मोनू पानी देता है ,
बच्चों के संग खेल खेल का
खेल अजब यह होता है ,,

वृक्ष हमारे जीवन साथी 
शिक्षक ये बतलाते हैं ,
स्वच्छ वायु और जडी बूटियां
सब इनमें हम पाते हैं ,,

तेज धूप में राही देखो
बैठ यही सुस्ताते हैं ,
दुर्वा घास भी लगती प्यारी 
जब पथ में पाँव जल जाते हैं ,,

वृक्षो को हम मित्र बनाए 
बडे़ बुजुर्ग भी बतलाते है ,
थक कर हारे जब जीवन में 
यह अपनी छाँव सुलाते हैं ,,

सूखी टहनी से इर्धन भी
हम सब इनसे पाते है ,
डाल से टूटे पत्तो से हम
देखो कम्पोस्ट बनाते है ,,

पौध रोपती गुडिय़ा जब ये
मोनू पानी देता है ,,

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

#WorldEnvironmentDay पौध रोपती गुडिय़ा जब ये । मोनू पानी देता है , बच्चों के संग खेल खेल का खेल अजब यह होता है ,, वृक्ष हमारे जीवन साथी शिक्षक ये बतलाते हैं , स्वच्छ वायु और जडी बूटियां सब इनमें हम पाते हैं ,, तेज धूप में राही देखो बैठ यही सुस्ताते हैं , दुर्वा घास भी लगती प्यारी जब पथ में पाँव जल जाते हैं ,, वृक्षो को हम मित्र बनाए बडे़ बुजुर्ग भी बतलाते है , थक कर हारे जब जीवन में यह अपनी छाँव सुलाते हैं ,, सूखी टहनी से इर्धन भी हम सब इनसे पाते है , डाल से टूटे पत्तो से हम देखो कम्पोस्ट बनाते है ,, पौध रोपती गुडिय़ा जब ये मोनू पानी देता है ,, ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

पौध रोपती गुडिय़ा जब ये ।
मोनू पानी देता है ,
बच्चों के संग खेल खेल का
खेल अजब यह होता है ,,

वृक्ष हमारे जीवन साथी
शिक्षक ये बतलाते हैं ,
स्वच्छ वायु और जडी बूटियां

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