प्रेम पूनित पद करें गुणगान भगवत्यप्रेम में डूब जाता,
एक-एक तान में करती पुकार रोम रोम में बस जाता।
गा रहा हूँ मै गाथा अनुपम चरित्र मीरा की अभिलाषा,
नव-नील -नीरद मुख-कमल श्यामसुंदर का हो जाता।
-- ------------–--संतोष शर्मा
दिनांक 20/06/22
अनुपम चरित्र श्री मीराबाई