आज भी तुम याद आती हो
जब मै गलियो से गुजरता
अपनी यहसास दिलाती हो
महक आती द्वार से गम का,
तू ना मिली अबतलक
उदासीयों में मुझे सताती हो
अधूरी है जिंदगी
अधूरी है ख्वा़ब
क्या फायदा इस जिंदगी का
ना हो जब कभी तुमसे मुलाकात
जिंदा हूँ तो बस तेरे साये से
हौसला जीने की दिलाती हो
नही होती खत्म तेरी एहसास,
जब भी सोचता तुम्हें दूर करने की
न जाने मेरे गम में क्यों
तुम सिर्फ़ मुस्कुराती हो।
बेचैन हूँ तुम्हारी चाहतो से
हृदय की गहराइयों में समाती हो
-------santosh sharma
तुम स्थिर तुंग ,मै चंचल स्रोतस्विनी,
तुम हरीतिमा, मै घनरस ओजस्विनी।
मै पानी की धारा,तुम पृथ्वी की तारा,
तुम शिव,मै शीतल ,निर्मल तपस्विनी।
----संतोष शर्मा
पहाड़ो तले नदीयां बहे जा रहा है।
गुमशूम तलाशे शांत कहे जा रहा है
वो बादल की पानी है मोती बिखेरे
ठहरा जा थोड़ी देर गोद में कहे जा रहा है
0 Love
धन्य है भारत की भूमि जहाँ पर मीरा का जन्म हुआ,
हिंदू जाति और नारी कुल की सम्मान का उद्भव हुआ
दसम मास सवंत 1561आश्विन शुक्ल पूर्णिमा था जब,
पिता रतन सिंह माता वीरकुमारी का कोख धन्य हुआ।
-------संतोष शर्मा (कुशीनगर)
प्रेम पूनित पद करें गुणगान भगवत्यप्रेम में डूब जाता,
एक-एक तान में करती पुकार रोम रोम में बस जाता।
गा रहा हूँ मै गाथा अनुपम चरित्र मीरा की अभिलाषा,
नव-नील -नीरद मुख-कमल श्यामसुंदर का हो जाता।
-- ------------–--संतोष शर्मा
दिनांक 20/06/22
Continue with Social Accounts
Facebook Googleor already have account Login Here