santosh sharma

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आज भी तुम याद आती हो जब मै गलियो से गुजरता अपनी यहसास दिलाती हो महक आती द्वार से गम का, तू ना मिली अबतलक उदासीयों में मुझे सताती हो अधूरी है जिंदगी अधूरी है ख्वा़ब क्या फायदा इस जिंदगी का ना हो जब कभी तुमसे मुलाकात जिंदा हूँ तो बस तेरे साये से हौसला जीने की दिलाती हो नही होती खत्म तेरी एहसास, जब भी सोचता तुम्हें दूर करने की न जाने मेरे गम में क्यों तुम सिर्फ़ मुस्कुराती हो। बेचैन हूँ तुम्हारी चाहतो से हृदय की गहराइयों में समाती हो -------santosh sharma

#Rose  आज भी तुम याद आती हो 
जब मै गलियो से गुजरता
अपनी यहसास दिलाती हो
महक आती  द्वार से गम का,
तू ना मिली अबतलक 
उदासीयों में मुझे सताती हो
अधूरी है जिंदगी
अधूरी है ख्वा़ब
क्या फायदा इस जिंदगी का 
ना हो जब कभी तुमसे मुलाकात
जिंदा हूँ तो बस तेरे साये से
हौसला जीने की दिलाती हो
नही होती खत्म तेरी एहसास,
जब भी सोचता तुम्हें दूर करने की
न जाने मेरे गम में क्यों
तुम सिर्फ़ मुस्कुराती हो।
बेचैन हूँ तुम्हारी चाहतो से
हृदय की गहराइयों में समाती हो
-------santosh sharma

#Rose

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तुम स्थिर तुंग ,मै चंचल स्रोतस्विनी, तुम हरीतिमा, मै घनरस ओजस्विनी। मै पानी की धारा,तुम पृथ्वी की तारा, तुम शिव,मै शीतल ,निर्मल तपस्विनी। ----संतोष शर्मा

#कविता  तुम स्थिर तुंग ,मै चंचल स्रोतस्विनी,
तुम हरीतिमा, मै घनरस ओजस्विनी।
मै पानी की धारा,तुम पृथ्वी की तारा,
तुम शिव,मै शीतल ,निर्मल तपस्विनी।
----संतोष शर्मा

Nature#

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पहाड़ो तले नदीयां बहे जा रहा है। गुमशूम तलाशे शांत कहे जा रहा है वो बादल की पानी है मोती बिखेरे ठहरा जा थोड़ी देर गोद में कहे जा रहा है

 पहाड़ो तले नदीयां बहे जा रहा है।
गुमशूम तलाशे शांत कहे जा रहा है
वो बादल की पानी है मोती बिखेरे
ठहरा जा थोड़ी देर गोद में कहे जा रहा है

पहाड़ो तले नदीयां बहे जा रहा है। गुमशूम तलाशे शांत कहे जा रहा है वो बादल की पानी है मोती बिखेरे ठहरा जा थोड़ी देर गोद में कहे जा रहा है

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धन्य है भारत की भूमि जहाँ पर मीरा का जन्म हुआ, हिंदू जाति और नारी कुल की सम्मान का उद्भव हुआ दसम मास सवंत 1561आश्विन शुक्ल पूर्णिमा था जब, पिता रतन सिंह माता वीरकुमारी का कोख धन्य हुआ। -------संतोष शर्मा (कुशीनगर)

 धन्य है भारत की भूमि जहाँ पर मीरा का जन्म हुआ,
 
हिंदू जाति और नारी कुल की सम्मान का उद्भव हुआ

दसम मास सवंत 1561आश्विन शुक्ल पूर्णिमा था जब,

पिता रतन सिंह माता वीरकुमारी का कोख धन्य हुआ।
-------संतोष शर्मा (कुशीनगर)

"मीरा का जन्म"

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प्रेम पूनित पद करें गुणगान भगवत्यप्रेम में डूब जाता, एक-एक तान में करती पुकार रोम रोम में बस जाता। गा रहा हूँ मै गाथा अनुपम चरित्र मीरा की अभिलाषा, नव-नील -नीरद मुख-कमल श्यामसुंदर का हो जाता। -- ------------–--संतोष शर्मा दिनांक 20/06/22

 प्रेम पूनित पद करें गुणगान भगवत्यप्रेम में डूब जाता,

एक-एक तान में करती पुकार रोम रोम में बस जाता।

गा रहा हूँ मै गाथा अनुपम चरित्र मीरा की अभिलाषा,

नव-नील -नीरद मुख-कमल श्यामसुंदर का हो जाता।

-- ------------–--संतोष शर्मा 
दिनांक 20/06/22

अनुपम चरित्र श्री मीराबाई

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मोतियां सजी है आँखों में , सफेद बादलों में काजल है । अंधेरे को निहारते रहता, प्रेम में प्यार का आँचल है। डूबता रहता तूझमें शाम -सुबह,

 मोतियां सजी है आँखों में ,
सफेद बादलों में काजल है ।

अंधेरे को निहारते रहता,
प्रेम में प्यार का आँचल है।

डूबता रहता तूझमें शाम -सुबह,

मोतियां सजी है आँखों में , सफेद बादलों में काजल है । अंधेरे को निहारते रहता, प्रेम में प्यार का आँचल है। डूबता रहता तूझमें शाम -सुबह,

8 Love

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