तुम स्थिर तुंग ,मै चंचल स्रोतस्विनी, तुम हरीतिमा, | हिंदी कविता

"तुम स्थिर तुंग ,मै चंचल स्रोतस्विनी, तुम हरीतिमा, मै घनरस ओजस्विनी। मै पानी की धारा,तुम पृथ्वी की तारा, तुम शिव,मै शीतल ,निर्मल तपस्विनी। ----संतोष शर्मा"

 तुम स्थिर तुंग ,मै चंचल स्रोतस्विनी,
तुम हरीतिमा, मै घनरस ओजस्विनी।
मै पानी की धारा,तुम पृथ्वी की तारा,
तुम शिव,मै शीतल ,निर्मल तपस्विनी।
----संतोष शर्मा

तुम स्थिर तुंग ,मै चंचल स्रोतस्विनी, तुम हरीतिमा, मै घनरस ओजस्विनी। मै पानी की धारा,तुम पृथ्वी की तारा, तुम शिव,मै शीतल ,निर्मल तपस्विनी। ----संतोष शर्मा

Nature#

People who shared love close

More like this

Trending Topic