तुम स्थिर तुंग ,मै चंचल स्रोतस्विनी, तुम हरीतिमा, मै घनरस ओजस्विनी। मै पानी की धारा,तुम पृथ्वी की तारा, तुम शिव,मै शीतल ,निर्मल तपस्विनी। ----संतोष शर्मा Nature.
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