जब-जब तेरी तलवार उठी, तो दुश्मन टोली डोल गयी, फीकी | हिंदी कविता

"जब-जब तेरी तलवार उठी, तो दुश्मन टोली डोल गयी, फीकी पड़ी दहाड़ शेर की, जब-जब तुने हुंकार भरी।। था साथी तेरा घोड़ा चेतक, जिस पर तु सवारी करता था, थी तुझमे कोई खास बात, कि अकबर तुझसे डरता था।। हर मां ये ख्वाहिश है, कि एक प्रताप वो भी पैदा करे, देख के उसकी शक्ती को, हर दुश्मन उससे डरा करे।। करता हुं नमन मै प्रताप को,जो वीरता का प्रतीक है, तु लोह-पुरुष तु मातॄ-भक्त,तु अखण्डता का प्रतीक है। हे प्रताप मुझे तु शक्ती दे,दुश्मन को मै भी हराऊंगा, मै हु तेरा एक अनुयायी, दुश्मन को मार भगाऊंगा।। भारत माँ का वीर सपूत, हर हिदुस्तानी को प्यारा हे… कुँअर प्रताप जी के चरणों में, सत सत नमन हमारा हे… ©पवन आर्य"

 जब-जब तेरी तलवार उठी, तो दुश्मन टोली डोल गयी,
फीकी पड़ी दहाड़ शेर की, जब-जब तुने हुंकार भरी।।
था साथी तेरा घोड़ा चेतक, जिस पर तु सवारी करता था,
थी तुझमे कोई खास बात, कि अकबर तुझसे डरता था।।

हर मां ये ख्वाहिश है, कि एक प्रताप वो भी पैदा करे,
देख के उसकी शक्ती को, हर दुश्मन उससे डरा करे।।
करता हुं नमन मै प्रताप को,जो वीरता का प्रतीक है,
तु लोह-पुरुष तु मातॄ-भक्त,तु अखण्डता का प्रतीक है।

हे प्रताप मुझे तु शक्ती दे,दुश्मन को मै भी हराऊंगा,
मै हु तेरा एक अनुयायी, दुश्मन को मार भगाऊंगा।।
भारत माँ का वीर सपूत, हर हिदुस्तानी को प्यारा हे…
कुँअर प्रताप जी के चरणों में, सत सत नमन हमारा हे…

©पवन आर्य

जब-जब तेरी तलवार उठी, तो दुश्मन टोली डोल गयी, फीकी पड़ी दहाड़ शेर की, जब-जब तुने हुंकार भरी।। था साथी तेरा घोड़ा चेतक, जिस पर तु सवारी करता था, थी तुझमे कोई खास बात, कि अकबर तुझसे डरता था।। हर मां ये ख्वाहिश है, कि एक प्रताप वो भी पैदा करे, देख के उसकी शक्ती को, हर दुश्मन उससे डरा करे।। करता हुं नमन मै प्रताप को,जो वीरता का प्रतीक है, तु लोह-पुरुष तु मातॄ-भक्त,तु अखण्डता का प्रतीक है। हे प्रताप मुझे तु शक्ती दे,दुश्मन को मै भी हराऊंगा, मै हु तेरा एक अनुयायी, दुश्मन को मार भगाऊंगा।। भारत माँ का वीर सपूत, हर हिदुस्तानी को प्यारा हे… कुँअर प्रताप जी के चरणों में, सत सत नमन हमारा हे… ©पवन आर्य

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