वो चादरें नोचती हैं
वो अंधेरा डराता है
सच कहूं ये तन्हा घर मेरा
बड़ा तड़पाता है।
जिंदगी बड़ी धीमी है
अकेलेपन से अब नाता है
सच कहूं तन्हा घर मेरा
बड़ा तड़पाता है।
दरवाज़े पर झूमर लटकी है
हवा के झोखों से ही बजता जाता है
सच कहूं तन्हा घर मेरा
बड़ा तड़पाता है।
सुबह की आरती गीत नहीं है
अलार्म बज के चुप हो जाता है
सच कहूं तन्हा घर मेरा
बड़ा तड़पाता है।
आवाज़ गूंजती हैं
खुद की आवाज़ से मन घबराता है
सच कहूं तन्हा घर मेरा
बड़ा तड़पाता है।
दिल की धड़कन तेज़ दौड़ती है
चारों ओर सन्नाटा है
सच कहूं तन्हा घर मेरा
बड़ा तड़पाता है।
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