जो देखा था हमनें ख्वाब वो उतर गया नशा था जो महोब्ब | हिंदी शायरी

"जो देखा था हमनें ख्वाब वो उतर गया नशा था जो महोब्बत का वो भी अब उतर गया हमे लगा था वो शख्स अधूरा है उसे मुकम्मल करते करते मैं खुद बिखर गया अच्छा था बुरा था ये तो मैं ठीक से नहीं जान पाया लेकिन वो एक दौर था जो निकल गया लगा कर अपनी दाव पर सांसों की पूंजी मैं नादान परिंदा अब लोगों को समझ गया...।। ©Rao Sahab Official"

 जो देखा था हमनें ख्वाब वो उतर गया
नशा था जो महोब्बत का वो भी अब उतर गया
हमे लगा था वो शख्स अधूरा है
उसे मुकम्मल करते करते मैं खुद बिखर गया
अच्छा था बुरा था ये तो मैं ठीक से नहीं जान पाया
लेकिन वो एक दौर था जो निकल गया
लगा कर अपनी दाव पर सांसों की पूंजी
मैं नादान परिंदा अब लोगों को समझ गया...।।

©Rao Sahab Official

जो देखा था हमनें ख्वाब वो उतर गया नशा था जो महोब्बत का वो भी अब उतर गया हमे लगा था वो शख्स अधूरा है उसे मुकम्मल करते करते मैं खुद बिखर गया अच्छा था बुरा था ये तो मैं ठीक से नहीं जान पाया लेकिन वो एक दौर था जो निकल गया लगा कर अपनी दाव पर सांसों की पूंजी मैं नादान परिंदा अब लोगों को समझ गया...।। ©Rao Sahab Official

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