जो देखा था हमनें ख्वाब वो उतर गया
नशा था जो महोब्बत का वो भी अब उतर गया
हमे लगा था वो शख्स अधूरा है
उसे मुकम्मल करते करते मैं खुद बिखर गया
अच्छा था बुरा था ये तो मैं ठीक से नहीं जान पाया
लेकिन वो एक दौर था जो निकल गया
लगा कर अपनी दाव पर सांसों की पूंजी
मैं नादान परिंदा अब लोगों को समझ गया...।।
©Rao Sahab Official