तू अटल है पर अचल नही ।
कर सकता कोई विचल नही ।।
तू सहज है पर सरल नही ।
कर सकता कोई विरल नही ।
तू तपन है पर जलन नही ।
कर सकता कोई आंकलन नही ।।
तू विश्वास है पर कठोर नही ।
कर सकता कोई पथ विभोर नही ।।
तू शक्ति है पर आसक्ति नही ।
कर सकता कोई तेरे समान भक्ति नही ।।
तू ऊर्जा है वह जिसका ह्रास नही ।
कर सकता कोई परिहास नही ।।
तू श्रम है पर थका नही ।
एक पल को कभी भी रुका नही ।।
तू स्मरण है पर संस्मरण नही ।
करम है तेरा भरण नही ।।
तू पालक है पर पालित नही ।
तुझसा कोई स्वचालित नही ।।
प्रचंड है तू पर विशाल नही ।
कर सकता अन्त तेरा कोई काल नही ।।
तू अथाह है जिसका छोर नही # तू एक ही है तुझसा कोई ओर नही # अचल # अटल # कठोर # विश्वास