मन के सरोवर के पास कहीं कैलास पे हैं वो विराजमान | हिंदी कविता

"मन के सरोवर के पास कहीं कैलास पे हैं वो विराजमान वो जटाधारी वो विषधारी वो शशिधारी वो ही मेरे त्रिपुरारी हैं | वो केदारनाथ वो सोमनाथ वो पशुपति वो ही मेरे एकनाथ हैं | वो महाकालेश्र वो आनीश्वर वो त्रिलोकेश्वर वो ही मेरे रामेश्वर हैं | वो भूदेव वो वाम देव वो देवों के देव वो ही मेरे महादेव हैं | वो भूतकाल वो भविष्यकाल वो कालों के काल वो ही मेरे महाकाल हैं | - कृष्णा ✍🙏 ©krishna singh chauhan"

 मन के सरोवर के पास कहीं 
कैलास पे हैं वो विराजमान 

वो जटाधारी वो विषधारी 
वो शशिधारी वो ही मेरे त्रिपुरारी हैं |

वो केदारनाथ वो सोमनाथ 
वो पशुपति वो ही मेरे एकनाथ हैं |

वो महाकालेश्र वो आनीश्वर 
वो त्रिलोकेश्वर वो ही मेरे रामेश्वर हैं |

वो  भूदेव  वो वाम देव 
वो देवों के देव वो ही मेरे महादेव हैं |

 वो भूतकाल वो भविष्यकाल 
वो कालों के काल वो ही मेरे महाकाल हैं |

                           - कृष्णा ✍🙏

©krishna singh chauhan

मन के सरोवर के पास कहीं कैलास पे हैं वो विराजमान वो जटाधारी वो विषधारी वो शशिधारी वो ही मेरे त्रिपुरारी हैं | वो केदारनाथ वो सोमनाथ वो पशुपति वो ही मेरे एकनाथ हैं | वो महाकालेश्र वो आनीश्वर वो त्रिलोकेश्वर वो ही मेरे रामेश्वर हैं | वो भूदेव वो वाम देव वो देवों के देव वो ही मेरे महादेव हैं | वो भूतकाल वो भविष्यकाल वो कालों के काल वो ही मेरे महाकाल हैं | - कृष्णा ✍🙏 ©krishna singh chauhan

#महाकाल #शिव

#Shiva

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